नगर निगम में महापौर के चुनाव को लेकर ये भी हो सकता है खेल
- By Krishna --
- Tuesday, 28 Dec, 2021
This can also happen for the election of the mayor in the municipal corporation.
नगर निगम महापौर चुनाव में कांग्रेस भी मार सकती है बाजी, खेल शुरू
चंडीगढ़। नगर निगम के 27 दिसंबर को आए परिणाम में किसी भी पार्टी को बहुमत न मिलने के बाद जहां हर रोज जोड़तोड़ के साथ नई चर्चाएं शुरू हो चुकी है, वहीं कांग्रेस, भाजपा और आप पार्टी दावा कर रही है कि महापौर उनका होगा। बताया जाता है कि जहां आप पार्टी के सुप्रीमों अरविंद केजरीवाल 30 दिसंबर को चंडीगढ पहुंच रहे हैं, वहीं पर चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद ने दिल्ली आए राष्ट्रीय महामंत्री एवं चंडीगढ़ चुनाव प्रभारी विनोद श्रीधर तावड़े ने मंगलवार को गुप्त बैठक करके पूरी रणनीति बनाई। वहीं पर भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला ने भी मंगलवार को दावा कर दिया है कि उनकी पार्टी के प्रत्याशियों को महापौर के लिए खड़ा किया जाएगा। इधर आप पार्टी के नेता पंजाब के सह प्रभारी राघव चड्ढा ने खुलकर भाजपा नेताओं पर आरोप लगाया है कि वे उनकी पार्टी के प्रत्याशियों की खरीद-फरोख्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
इधर, शहर में अब नई चर्चा शुरू हो गई है कि अगला महापौर कांग्रेस की गुरबख्श रावत व देवेंद्र बबला की पत्नी हरप्रीत कौर बबला में से एक को बनाया जा सकता है। जबकि, अकाली दल के प्रत्याशी हरदीप सिंह को वरिष्ठ महापौर के पद पर नवाजा जा सकता है। अभी तक कोई भी पार्टी खुलकर अपने पत्ते नहीं खोल रही है। लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।
पहले भी मात्र तीन पार्षद वाली पार्टी बना चुकी है महापौर
इससे पहले वर्ष 2000 में भाजपा का बहुमत होने के बावजूद हरमोहन की जनता पार्टी से विजयी हुए राजकुमार गोयल को महापौर की सीट पर नवाजा गया था, जबकि राजकुमार गोयल 23 दिसंबर 2000 से 21 जुलाई 2001 तक महापौर की सीट पर विराजमान रहे। लेकिन इसके बावजूद जनता पार्टी से विजयी हुई गुरचरण दास को भी12२ जुलाई से 17 अगस्त 2001 तक कार्यकारी महापौर बनने का मौका मिला था। उसके बाद 18 अगस्त 2001 से लेकर 22 दिसंबर 2001 तक हरजिंदर कौर ने महापौर का पदभार संभाला था। उस समय कमलेश बनारसी दास अकेली कांग्रेस से पार्षद चुनकर आई थी जबकि राजकुमार गोयल, श्रीमति सतेंद्र धवन व गुरचरणदास काला जनता पार्टी से तथा बापूधाम की सुनीता निर्दलीय चुनकर नगर निगम में पहुंची थीं। इस प्रकार राजनीति में कुछ नहीं कहा जा सकता जब मात्र तीन पार्षद वाली पार्टी का महापौर बनाया जा सकता है तो अब भी पता चला है कि कांग्रेस भी इस मौके का पूरा फायदा उठाने में जुटी हुई है। अब आने वालो दिनों में देखना है कि राजनीति का खिलाड़ी कौन निकलता है।